संघर्ष - 3

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संघर्ष - पार्ट 3 सचमुच, सबके सामने मानों बम ही फूट गया था... मेरी ऐसी हिमाकत के बारे में तो कोई सोंच भी नहीं सकता था! कुछ देर तक तो किसी की कुछ समझ में ही नहीं आया फिर मोहित के उस तमाचे का निशान मेरे गाल पर छप कर रह गया कि मैं अपने आँसुओं को रोक न सकी। दुःख हो रहा था कि इतना प्यार करने वाले पति को आज मैंने ऐसी जगह लाकर खड़ा कर दिया है कि उनको मुझपर हाथ तक उठाने पर मजबूर होना पड़ा है। फिर भी बिफरते हुए मैंने अपना तैयार किया हुआ