हमेशा-हमेशा - 5

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पूरा हफ़्ता स्कूल के काम-काज में कैसे गुज़र गया, शमा को पता ही नहीं चला। एग्ज़ाम हो कर हटे थे। रिज़ल्ट और पैरेंट टीचर मीटिंग में वक़्त कैसे गुज़रा, उसे कुछ पता ही नहीं चला। आज संडे था। शमा ने सोचा था कि पूरे हफ़्ते की नींद आज पूरी करेगी। गहरी नींद में बिस्तर पर सोई शमा की नींद लगातार बज रही मोबाइल फोन की रिंगटोन से खुली। अनमने ढंग से शमा ने फोन उठाया और कान पर लगा लिया। "हैलो मैडम!" उधर से मानव की उत्साह से लबरेज़ आवाज़ सुनाई दी। शमा के चेहरे पर नींद टूटने की खीझ