स्वातंत्र्योत्तर भारत में हिंदी में जन सामान्य चित्रण

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यद्यपि भारतीय इतिहास में 15 अगस्त 1947 का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्राचीन अध्याय समाप्त कर एक नए युग के प्रारंभ का सूचक है . परंतु हिंदी साहित्य के इतिहास में यह दिवस ना तो स्मरणीय है और ना ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि स्वातंत्र्योत्तर भारत में हिंदी साहित्य में किसी नई व शक्तिशाली प्रवृत्ति का जन्म नहीं हुआ जिससे स्वाधीनता का सीधा संबंध जोड़ा जा सके स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात सन 1950 से ही हिंदी कहानी के क्षेत्र में एक नवीन युग का.शुभारंभ हुआ इस युग के कहानीकार ने परंपरागत वातावरण से हटकर अंचल विशेष के रहन सहन रीति