सेवा-भाव की अपनी-अपनी सोच

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सेवा-भाव की अपनी-अपनी सोच आर० के० लाल पार्क में एक शाम बैठे कई बुजुर्ग समाजसेवा करने की बात पर ज़ोर दे रहे थे परंतु उनमे से दो चार लोग कह रहे थे कि उनका अनुभव अच्छा नहीं रहा। महरोत्रा जी ने अपनी कहानी बताई कि एक बार उन्होंने मलिन बस्तियों में जाकर कुछ सेवा करने को सोची । समाचार पत्रों में रोज कई संस्थानों के लोगों की फोटो कपड़ा , खाना वितरित करते छपती है। कुछ लोग तो मलिन बस्तियों के बच्चों को पढ़ाते लिखाते भी हैं। हमने अपने मित्रों के साथ पुराने कपड़े बांटने की योजना