संघर्ष (पार्ट - 2) किसी विधवा, गरीब माँ की इकलौती बेटी थीं ज्योति दी, जिनको रोहित जैसा वर मिलने पर अपने भाग्य पर यकीन ही नहीं हुआ था। भरपूर प्यार और दुलार भी मिला था उन्हें अपने ससुराल में और बदले में उन्होंने अपनी सारी निष्ठा और संपूर्ण शक्ति से घर के सभी लोगों की सेवा भी की थी। दो-ढाई साल तो किसी मधुर सपने की तरह ही बीत गए थे। फिर ज्योति दी की गोद अभी तक न भर पाने की बात घर में बार-बार उठने लगी| रोहित स्वयं ज्योति दी को लेकर अलग-अलग डॉक्टरों के यहाँ चक्कर काटने