तुम्हारे बाद - 2

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7 ---- ये तेरी रूह का साया मुझे परचम सा लगे लरजते आँसू भी मुझको कभी शबनम से लगें यूँ ढला रहता है तू जिस्म में मेरे अक्सर कि तेरा दिल भी मुझे अपनी ही धड़कन सा लगे कभी यहाँ तो कभी उस ओर दिख ही जाता है ये तेरी ही दुआओं का कुछ असर सा लगे ये रंजोगम भी कैसे बनाए हैं मालिक सबकी ही आँख का आँसू मुझे अपना सा लगे जाने शिकवा करूँ या शुक्रिया करूँ किसका मेरी रूह में कहीं कुछ हौसला सा लगे   8----- बहुत शान से जी ली थी ज़िंदगी मैंने और बहुत