बालकहानी धन्यवाद कोरोना/सुधा भार्गव नादान अनारू समझ नहीं पा रहा है माँ को क्या हो गया है। उसके हर काम में देरी करती हैं।उस दिन भरी दुपहरिया में बिजली चली गई । एक तो गरमी से परेशान दूसरे पेट में जोर जोर से चूहे कूद रहे थे ।मेज खाली देख उबाल खा गया “ --माँ --माँ ! कुछ खाने को तो देदो ।” ‘लाई बेटा--बस पांच मिनट रुक जा--।इतने में तू साबुन से हाथ धोकर आ जा ।” अनारू भुनभुनाता चल दिया -हूँ --हाथ धोकर आ !घडी -घड़ी हाथ धोने को बोलती हैं.पर मेरे काम की चिंता