श्रद्धासुमन

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आज पापाजी के बिना एक वर्ष्‍ हो गया। आज ही के दिन तो उन्‍होनें अंतिम सांस ली थी और इस क्षणभंगुर संसार को छोडकर परमात्‍मा में विलीन हो गये थे। मन ही मन पिता को श्रद्धांजली देती हुई निर्मला अतीत में जा पहॅुचीं। पापाजी लो‍कनिर्माण विभाग में इंजीनियर थे। घर से दूर रहकर ताउम्र नौकरी की। अपनें कर्तव्‍यों को पूरा करने के लिये घर में रहने का सुख क्‍या होता है , कभी उन्‍होंनें जाना ही नहीं। शाम को दफ्तर से लौटकर पत्नि के हाथ की चाय या बच्‍चों की ध्‍माचौकडी , उनके लिये एक सुखद अहसास थी। इसकी टीस