माँ कि ममता

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“माँ”दर्द होता था हमें अगर, तो माँ की नींद उड़ जाती थी ठण्ड में ऐसे रहो,गर्मी में ये करो, माँ ही तो थी जो हर पल पीछे पड़ जाती थी ऐसा नहीं है की हमें प्यार नहीं था उनसे, पर लड़ना ही उनसे अच्छा लगता थाबचपन से जवानी में कदम रख चूका था मैं, मगर उनके लिए अभी बच्चा थाआज कोई कहता नहीं की ऐसे अपना ख्याल रखो, वो माँ ही थी वो हमारी खुशिओ के खातिर अपना गम छुपाती थी हो जाये थोड़ी सी तकलीफ हमें, माँ तू कहा सो पाती थी|त्याग की मूरत है माँप्यार की सूरत है माँबच्चो की मुस्कान में खुद की मुस्कान ढूंढ लेखुदा के रूप