स्वतंत्र सक्सैना -सरल नहीं था यह काम

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सरल नहीं था यह काम जो डॉ. स्वतंत्र ने कर दिखया। समीक्षक-रामगोपाल भावुक सरल नहीं था यह काम जो डॉ. स्वतंत्र सक्सैना ने इस काव्य संकलन के माध्यम से कर दिखया है। वे अपनी बात में कहते हैॅ कि साहित्य का बहुत गम्भीर अध्येता होने का मेरा कोई दावा नहीं है फिर भी जनवादी मित्रों के सम्पर्क में आने के कारण वे जितने कदम आगे चले हैं, सच कहने के लिए संधर्षरत रहते हुये, सब कुछ सहते हुए चले हैं। इस साहस की मैं मुक्त कंठ से उनका प्रंशंसक रहा हूँ। आप नया सबेरा लाने के लिये जीवन भर संधर्ष