तक़दीर का तोहफ़ा- सुरेन्द्र मोहन पाठक

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यूँ तो अब तक के जीवन में कई तरह की किताबें पढ़ने का मौका मिलता रहा है मगर वो कहते हैं कि वक्त से पहले और किस्मत से ज़्यादा कभी किसी को कुछ नहीं मिलता। अगर तक़दीर मेहरबान हो तो तय वक्त आने पर हमारे हाथ कोई ना कोई ऐसा तोहफ़ा लग जाता है कि मन बरबस खुश होते हुए.. पुलकित हो..मुस्कुरा पड़ता है। दोस्तों.. आज मैं बात कर रहा हूँ एक ऐसे कहानी संकलन की जो मँगवाने के बाद भी कम से कम एक साल तक मेरे द्वारा अपने पढ़े जाने की बाट जोहता रहा। मगर मुझे क्या पता