चोलबे ना - 3 - 370 का रीचार्ज

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टीवी खोला ही था कि एक धमाका हुआ। एक जबरदस्त धमाका। धमाका देखकर मेरे बालमन का मयूर नाच ही उठा। जवानी के बालमन का मयूर होता ही ऐसा है। जब तक उटपटांग घटनाओं पर नाचे उसे संतोष ही नहीं होता है। विघ्नसंतोषी सा जो होता है। वैसे मयूर भी कई प्रकार के होते हैं। एक बालमन का, एक युवामन का, तो एक अधेड़मन का। ये चर्चित मयूर हैं। हालाँकि ऐसा नहीं है कि वृद्धमन का नहीं होता है परन्तु बहुत ही कम वृद्धों का मयूर नृत्य करता है। खैर! बालमन का मयूर था तो नर्तक का नौसिखिया होना तो लाजमी