मैं तो ओढ चुनरिया अध्याय छ: घर आते ही माँ ने सामान सम्हाल कर रखते हुए शगुण में मिले पैसे गिने । कुल जमा तीन सौ रुपए हुए नोट और सिक्के मिलाकर । इतनी बङी रकम ! माँ पुलकित हो उठी । सगन काफी थे ,इसका अनुमान था उसे पर इतने निकलेंगे ऐसा तो उसने सपने में भी नहीं सोचा था । पूरा दिन वह जोङतोङ और कतरव्योंत में लगी रही । क्या करे वह इतने रुपयों का । हैरान हो रहे हो न आप यह सब सुनकर । आज तो पैसे की कीमत ही नहीं है