उजाले की ओर - 27

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उजाले की ओर ------------------ आ. स्नेही व प्रिय मित्रो ! सस्नेह सुप्रभात शीत का मौसम ! ठंडी पवन के झकोरे ,गर्मागर्म मूँगफलियों का स्वाद ,अचानक ही इस मौसम के साथ जुड़ जाता है वैसे जिस प्रदेश में मैं रहती हूँ ‘गुजरात में’ वहाँ इतनी न तो सर्दी पड़ती है और न ही यहाँ ‘मूँगफली ले लो,करारी गर्मागर्म मूँगफली’ का सुमधुर स्वर सुनाई देता है चाहे बेचारे बेचने वाले के स्वर में कितनी ही सर्दी की कंपकंपी क्यों न हो ,उस बेचारे को तो पेट पालने के लिए गर्म बिस्तर में घुसे हुए लोगों के पेटों में अपनी सर्दी