मिथिलेश कुमारी मिश्रा के उपन्यास के कबीर -डॉ के.बी.एल. पाण्डेय हिन्दी के जीवनीपरक उपन्यासों में एक उपविधा यह विकसित हुई है जिसमें कवियों की जीवनी को आधार बनाया गया है। जीवनीपरक उपन्यासों के अधिकतर चरित्र नायक पुराण, इतिहास अथवा समाज के ने लोग है जिनके व्यक्तित्व और कृतित्व असाधारण रहे हैं। इनमें से अनेक व्यक्ति तो ऐसे भी हुए हैं जो अपनी असाधारण भूमिका के बाद भी प्रायः उपेक्षित बने रहे अथवा उनके प्रति परंपरा से चली आ रही धारणा ही बनी रही। इस तरह के उपन्यासों का उद्देश्य उन असाधारण व्यक्तियों के कृतित्व को समाज के सामने प्रेरणा के