महेश कटारे सुगम की कविता : हमारे समय का यथार्थ के0बी0एल0 पाण्डेय कहानी, गीत, नवगीत, गजल और समकालीन कविता के अन्यतम रचनाकार महेश कटारे सुगम की रचनाओं के साथ होना अपने समय के साथ होना है, साथ होना ही नहीं अपने समकाल की संवेदना से परिचित और उसका समीक्षक होना है। हमारा समकाल आज इतना घटना बहुल हो गया है कि उसके तत्काल की भी उपेक्षा नहीं की जा सकती है क्योंकि वह हमारी समकालीनता की एक विच्छिन्न कड़ी न होकर उसका एक अनुच्छेद है। सुगम अपनी पूरी रचनाशीलता में समय के यथार्थ के प्रति सचेत ही नहीं पूरी प्रतिबद्धता