कहते हैं कि दुनिया गोल है और संयोगों से भरी इस अजब ग़ज़ब दुनिया में अगर एक तरफ़ भले लोग हैं तो वहीं दूसरी तरफ़ बुरे भी कम नहीं हैं। मगर सवाल ये उठता है कि जो अच्छा है..क्या वो सभी के लिए अच्छा है या मात्र अपने अच्छे होने का ढोंग कर रहा है? या अगर कोई बुरा है क्या वो सभी की नज़रों में बुरा है?खैर..अच्छे बुरे की बात करने से पहले कुछ बातें संयोगों को ले कर कि क्या सचमुच में ऐसा संयोग हो सकता है कि किसी कहानी या उपन्यास के रचियता से आपका दूर दूर