मदन मोहन दानिश-शुभकामनाओं का विनम्र पाठ

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मदन मोहन यानि की कविताः शुभकामनाओं का विनम्र पाठ के.बी.एल.पाण्डेय मैक्सिको के ऑक्टागवियो पाज की एक कविता की पंक्तियाँ है.. हमें तब तक गाना है जब हमारा गीत जड़ों ,तनों, शाखाओं, चिड़ियों और तारों को जन्म दे। हमें तब तक गाना है जब तक स्वप्न जन्म दे पुनर्जीवन की लाल गेहूँ बाल को सोने वाले की कोख में 'मदन मोहन दानिश अपनी कविता को किताबी उपदेशों का अनुवाद न बना कर उन सरोकारों तक ले जाते हैं जो जीवन को मूल पाठों की तरह पढ़ते हैं,इस पाठ में प्रेम है, दानिशमंदी है,करुणा दे प्रेरित सहजता है,अनुभवों के निष्कर्ष हैं,सोच का