उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम-कथा भाग 5महाराज पुरुरवा अपने कक्ष में उर्वशी के विचारों में खोए हुए थे। रानी औशीनरी उनके निकट जाकर बैठ गईं। उन्होंने महाराज पुरुरवा से पूँछा,"महाराज जब से आप मृगया से लौटे हैं आप का चित्त अशांत रहता है। मुख्यमंत्री भी कह रहे थे कि राजसभा में आप पूर्ण ध्यान नहीं दे पाते हैं। आपकी इस व्यथा का कारण क्या है।