क्या पुस्तकें/ पत्रिकाएँ मांग कर पढना गलत हैं ? मुझे बचपन से आदत थी जब तक कोई पत्रिका /पुस्तक/ अखबार मेरे सामने न हो मुझसे खाना नही खाया जाता था ।हमारे पूर्वज पाठ्यपुस्तक तो कई बार पढ़ ली थी और सब कहानियाँ मुँह ज़ुबानी याद थी । घर में दो अख़बार आते थे । अब वोकिसके रूम में हैं , इसको ढूँढने के लिये आठ कमरों वाला पूरा घर घूमना पड़ता था । खाना भले ही ठंडा होता जाए लेकिन अखबार न मिले तो मैं पड़ोस की चाची के घर से कोई न कोई पत्रिका उठा लाती थी . अंक नया हो