आजादी - 40

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बच्चों की बात सुनकर विनोद को राहुल की समझदारी का अहसास हुआ और साथ ही यह भी अहसास हुआ कि सभी बच्चे अपराध के अँधेरे में गुम होने से बाल बाल बचे थे । मन ही मन भगवान को धन्यवाद देते हुए अचानक जैसे विनोद को कुछ याद आया । जेब से फोन निकाल कर विनोद ने कल्पना का नंबर मिलाया । फोन कल्पना ने ही उठाया था । व्यग्रता और उत्सुकता का अजीब सा मेल लिए हुए उसकी आवाज आई ” , क्या हुआ ? राहुल कहाँ है ? ”” ईश्वर की बड़ी मेहरबानी है कल्पना ! उसने रामनगर