आजादी - 34

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टेम्पो में बैठा राहुल टेम्पो के बायीं तरफ के पतरे में बने छोटे से छेद से बाहर की परिस्थितियों का लगातार अवलोकन किये जा रहा था । अचानक गाड़ी की गति कम होने का अहसास करके उसके कान खड़े हो गए थे । और जैसे ही गाड़ी मुख्य सड़क छोड़कर ढाबे के सामने के उबड़ खाबड़ मैदान पर चलने लगी उसने स्वयं भी गाड़ी में लेटते हुए सभी बच्चों को भी सतर्कता से गाड़ी में लेट जाने का इशारा किया । इसके पीछे उसकी सोच यह थी कि यदि गुंडों ने उन्हें देखने या उनका हाल चाल लेना चाहा तो