ठौर-बेठौर

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ठौर-बेठौर जिन डॉ. वशिष्ठ के पास मैं पत्नी को लेकर गया, वह शहर के सब से बड़े सरकारी अस्पताल में चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष रह चुके थे और अब एक प्रमुख नर्सिंग होम में रोगियों को भारी भरकम फीस लेकर देखा करते थे| पत्नी की बारी आने पर डॉ. वशिष्ठ ने उसे रोगियों के लिए पृथक रखी गयी एक कुर्सी पर बैठने को कहा और पूछा, ‘क्या कष्ट है?’ ‘मैं गहरी तकलीफ़ में हूँ’ पत्नी रुआंसी हो आयी, ‘मेरे दिल में कोई एक हूक बार बार उठती है, मेरे शरीर को दिन भर झुरझुराती है, जिस पर मेरा कलेजा मुँह