मेरा पति तेरा पति - 10 - अंतिम भाग

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10 एक साल के बाद ज्योति पहले से अधिक ठीक दिखाई दे रही थी। उसका हीमोग्लोबिन भी सामान्य हो चुका था। सबकुछ ठीक था। अविनाश उसे लिवाने आ पहूंचा। ज्योति को अपनी दोनों बच्चीयों के भविष्य के लिए एक बार पुनः ससुराल जाना पड़ा। रमाबाई तो जैसे तैयार ही बैठी थी। ज्योति के आते ही उन्होंने बेटे का रोना रो दिया। अविनाश और ज्योति न चाहते हुये भी तैयार थे। 'अब की बार बेटा होना चाहिये' रमाबाई का ये कढ़ा संदेश दीवारों से टकरा-टकराकर ज्योति के कानों को भेदते हुये उसके सीने को छलनी कर जाता। ज्योति पांचवी बार मां