जब कोई चाशनी युक्त मधुर वाणी एवं क्षद्म सभ्य व्यवहार के आवरण तले कुत्सित मनोभावों को धारण करने वाला हो वो भी निकट सम्बंधी के रूप में, तो सहज उसके घृणित क्रिया कलापों पर विश्वास करना भी दुरूह हो जाता है लेकिन यदि पीड़िता भी अत्यंत निकटवर्ती हो तो मन की उद्विग्नता चरम पर होती है।ये कथित निकटवर्ती ऐसे आस्तीन के सांप होते हैं जिन्हें पहचानना सरल नहीं होता। धरा काम निबटाकर दोपहर को थोड़ी देर आराम करने के उद्देश्य से अभी बिस्तर पर लेटी ही थी कि कोई जोर -जोर से दरवाजा खटखटाने लगा।दरवाजे पर पड़ने