देश-सेवा के अखाड़े में...

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सूर्यबाला यह खबर चारों तरफ आग की तरह फैल गई कि मैं देश-सेवा के लिए उतरने वाला हूँ। जिसने सुना, भागा आया और मेरे निर्णय की दाद दी। सुना, आप देश-सेवा के लिए उतर रहे हैं। ईश्वर देश का भला करें! बाइ द वे, शुरुआत कहाँ से कर रहे हैं? कौन सा एरिया चुन रहे हैं? हमारे अंचल से करिए न! बहुत स्कोप है! हेलीपैड बनकर विकसित होने लायक इफरात जमीन पड़ी है। आबो-हवा भी स्वास्थ्यप्रद है। ईश्वर की दया से गरीबी, भुखमरी और अशिक्षा आदि किसी बात की कमी नहीं। लोग भी सीधे-सादे नादान किस्म के हैं - तो