बेटा, सौजन्य आओ नाश्ता लग गया है, juice लोगे या दूध शेखर ने अपने बेटे सौजन्य को आवाज लगाई। मुझे नाश्ता नहीं करना, बहुत देर हो गई है, मैं जा रहा हूं, सौजन्य तैयार होकर बाहर तो आया लेकिन नाश्ता किए बिना ही college निकल गया। और शेखर अपना मन मसोस कर रह गया, सोचने लगा, ये मुझे कब माफ करेगा,कब तक मुझे अपने किए की सजा मिलती रहेगी, मैं भी हालातों से लड़ते-लड़ते तंग आ गया हूं,एक तुम ही तो थी जो मुझे समझती थीं और हरदम समझा लेकिन मेरी एक भूल ने तुम्हें मुझसे भी अलग कर दिया,