आवत ही हरषै नहीं, नैनन नहीं सनेह, तुलसी तहाँ न जाइये, कंचन बरसे मेह ।। संत तुलसीदास जी कहते हैं कि जहाँ आपको आते देख, लोग खुश न हों और जिनकी आँखों में आपके लिए प्रेम न हो, ऐसी जगहों पर आपको नहीं जाना चाहिए। भले ही वहाँ धन की वर्षा हो रही हो । महान संत तुलसीदास भगवान राम के उपासक, भारतीय संस्कृति के पोषक,मानवीय मूल्यों में आस्था रखने वाले व्यक्ति, सोचा होगा कि ‘अतिथि देवो भव’ की मान्यता तो हर काल में जन साधारण के मन में रहेगी ।उनको क्या पता था कि आगे पासा ही पलट जाएगा।