बीच में कहीं

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गोपाल माथुर क्या आपने कभी किसी अनजान शहर में ऐसी शाम बिताई है, जहाँ आपको ऐसे व्यक्ति की प्रतीक्षा करनी पड़े, जिसे आना ही नहीं था ? नहीं, मैं वेटिंग फाॅर गोदो के गोदो की बात नहीं कर रहा. मैं उस षाम के खालीपन की बात कर रहा हूँ, जो अणिमा के नहीं आने के कारण अकारण ही मेरे पास आकर खड़ा हो गया था. जनाब, दरअसल हुआ कुछ यूँ था कि अणिमा अपने पिता के ट्रान्सफर हो जाने के कारण उनके साथ इस षहर में आ गई थी और जैसे जैसे समय बीतता जा रहा था, मेरा उससे मिलना