जूते चिढ़ गए हैं...

  • 6.6k
  • 1.8k

सूर्यबाला जूते चिढ़ गए हैं इन दिनों। कहते हैं, यह हमारी तौहीनी है। ये क्या कि हमें जिस-तिस पर उछाल दिया, जैसे हमारी कोई इज्जत ही नहीं। बात सही है कि चिरकाल से हमारा निवास आदमी के पैरों में ही है और लोगों के सर पर उछाली जाने वाली स्थिति हमारे लिए सुखद ही होनी चाहिए। आप डपटकर कह सकते हैं कि सदियों से पैरों से लगे घिसटते रहे, धूल-धक्कड़ फाँकते रहे और आज हम तुम्हें लोगों के सिरों पे उछाल रहे हैं तो कृतकृत्य होने के बदले आपत्ति दर्ज करा रहे हो? शुक्र करो कि हमने तुम्हें जमीन से