ये कहानी उन दोस्तों के लिए लिये जो केवल सोचते रहते हैं, जो केवल सपने देखते की वे एक दिन आसमान की बुलंदी को छू लेगे, लेकिन वो सिर्फ सपने देखते है और कुछ करते नहीं है, और केवल बैठे बैठे सोचते रहते हैं, इस कविता से समझते हैं......... जमीन पर बैठ परिंदा आसमान को देख रहाउड़ने के सपने को अपने दिल में समेट रहानजरें उसकी चांद पर, ख्यालो के बाणो से अपने लक्ष्य को भेद रहा जमीन