पृथ्वी के केंद्र तक का सफर - 26

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चैप्टर 26 पुनः प्राप्ति की ओर। जब मुझे होश आना शुरू हुआ और अपनी मौजूदगी का एहसास होने लगा, मैंने देखा मेरे चारों ओर हल्का अँधेरा है और मैं एक नर्म मोटी चादर पर लेटा हुआ था। मौसाजी मुझे देख रहे थे, उनकी आँखें मुझपर टिकी हुई थीं, उनके चेहरे पर गहरा दुःख और आँखों में आँसू थे। मैंने जैसे ही पहली सांस ली, उन्होंने मेरे हाथों को थाम लिया। उन्होंने जैसे ही मेरे आँखों को खुलते देखा, वो ज़ोर से चीखने लगे।"ये जीवित है। ज़िंदा है ये।""हाँ मेरे प्यारे मौसाजी।" मैं बुदबुदाया।"मेरे बच्चे," उन्होंने अपने सीने से मुझे चिपकाते