आजादी - 32

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विनोद को घर आये हुए अभी थोड़े ही समय बीते थे । उसके बाबूजी और माताजी अपने कमरे में आराम फरमा रहे थे । विनोद के आने की आहट सुनकर तकिये में मुंह छिपाकर सिसक रही कल्पना ने जल्दी से अपने आंसू पोंछते हुए चेहरे पर जबरदस्ती मुस्कान लाने का प्रयत्न किया और कमरे से बाहर हॉल में चली आयी ।विनोद ने उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और पलंग पर गिरकर निढाल हो गया । उसका जी कर रहा था कि वह भी खूब रोये और अपना जी हल्का कर ले । हालाँकि कल्पना की मनोस्थिति से वह नावाकिफ