मानस के राम (रामकथा) - 54

  • 5.2k
  • 1.4k

‌ मानस के राम भाग 54रावण की अंत्येष्टिराम की उदारता पर माल्यवंत बहुत ही आदर के साथ हाथ जोड़कर बोले,"हे रघुकुल के गौरव आप अत्यंत ही उदार हैं। आपके स्थान पर अन्य कोई होता तो लंका की इस अकूट संपदा पर अधिकार कर लंका के सिंहासन पर आरूढ़ हो जाता। परंतु आपमें लेशमात्र भी लोभ नहीं है। आपने सबकुछ विभीषण को सौंप दिया। आप धन्य हैं।"राम ने कहा,"मैं अपने पिता के वचन का सम्मान करने