कबूला पुल महेंन्द्र फुसकेले

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पुस्तक समीक्षा- कबूला पुल महेंन्द्र फुसकेले हिन्दी कहानी आज अनेक आयामों के साथ अपने एक बेहतर युग में आ पहुंची है। आज अनेक शिल्पों और शैलियों में कहानी लिखी जा रही हैं तथा हिन्दी का आम पाठक एक बार फिर कहानी की ओर मुड़ा है। कहानी लिखना बहुत मशक्कत मांगता है। तमाम अनिवार्य और आवश्यक चीजें कहानी लिखने के लिये जान लेना बेहद जरूरी होता है। महेंन्द्र फुसकेले की कहानियों का संग्रह “कबूला पुल“ पिछले दिनों पढ़ने को मिली।