और उदासी छंट गई विस्तार वात्सल्य का

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निधि सुबह उठकर बाहर बरामदे में बैठकर अखबार पढ़ती है। बरसों से यहा नियम है, सुबह की चाय के साथ दोनों पति-पत्नी समाचारों का आनन्द लेते हैं। गर्मी में, उनके बगीचे से आने वाली शीतल, सुरभित पवन से उनका तन-मन सुवासित हो जाता है। छोटे शहरों में रहने का अपना ही मजा है, नहीं तो बड़े शहरों में अकारण ही दो घण्टे पहले नौकरी के लिए निकलना पड़ता है। अपनी भाभी को देखा है उसने, दिल्ली में। इतना व्यस्त जीवन, जैसे ठीक से साँस लेने की भी फुर्सत न हो। समाचारों पर निगाह डालते हुए अतुल की नज़र रोशनदान पर