पिता की सीख

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सचिन के पिताजी बहुत अच्छी मूर्तियाँ बनाते थे।उसको देखकर बहुत अच्छा लगता था। प्रतिदिन वह अपने पिताजी को मूर्तियाँ बनाते देखता तो उसका भी मन करता कि वह भी अच्छी मूर्ति बनाये ।धीरे-धीरे सचिन भी मूर्तियों को आकार देने लगा। अब सचिन मूर्तियाँ बनाने के लिए बहुत मेहनत करने लगा।सचिन अपने पिता के साथ मिट्टी लेकर आता फिर उसे कूट-पीस कर महीन करता ,मिट्टी में पानी मिला कर उसे गूँथ कर सुंदर मूर्ति बनाने में अपने पिता का साथ देता।प्रतिदिन अपने पिता को मेहनत करते देखता तो उसका मन भी सुंदर-सुंदर मूर्ति बनाने को करने लगा ।जब कोई पिता की