5 "मैं जानता हूं कि मेरे माता-पिता कल यहां आये थे। और उन्होंने तुम्हें जमकर डांटा है।" रमन ने कहा। "हां बेटा! आराधना का जीवन पहले ही कांटों से भरा है। अब तुम इसका जीना ओर मुश्किल न करो।" कांता ने अपनी बेटी का पक्ष लिया। "नजरीये का फर्क है मांजी। मैं आराधना की राहों में फूल बिछाना चाहता हूं और आप इसे कांटों भरी डगर कह रही है।" रमन ने कहा। "कुछ भी हो! लेकिन आपको अपने माता-पिता के कहे अनुसार ही शादी करनी चाहिए।" आराधना अब शुष्क थी। "ठीक है आराधना। जिस दिन माॅम-डैड मुझसे कहेंगे की तुमसे