मुख़विर - वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त

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उपन्यास-मुख़विर- राजनारायण बोहरे समीक्षा दृष्टि- वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ मनुष्य का महत्व इस बात में नहीं है कि वह कितना धनी, कितना यषस्वी, कितना बली अथवा उच्च पदासीन है बल्कि मनुष्य का महत्व और मूल्यांकन इस बात में है कि वह कितना उदार, संवेदनषील एवं रचनात्मक है। मानवीय सदगुण जिस मनुष्य में जितने अधिक हैं वह उतना ही अधिक मूल्यवान है और मानवीय गुणों से रहित व्यक्ति मनुष्य की काया में होकर भी मनुष्य नहीं है बल्कि अन्य कुछ। अतः मानव मूल्य ही मनुष्य की पहिचान है। ये ही उसकी अस्मिता के चिर पुरातन एवं नित्य नूतन चिन्ह हैं। इन्ही चिन्हों