टकला

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//टकला// शीर्षक पढ़ कर आपको यह लग रहा होगा कि आज मैं इन्टरनेट से चुराकर कुछ सामग्री परोसने जा रहा हुँ। ऐसा कुछ नहीं है। टकला होना या गंजा होना जहाँ समाज में आम समस्या है। वहीं इसका हास्य व्यंग्य साहित्य में भी महत्वपूर्ण स्थान है। समाज मे भी मनोविनोद के लिये अनेकों बार टकलों का सहारा लिया जाता है। टकलों का संसार भी बड़ा विचित्र है। अक्सर युवावस्था समाप्त होते न होते लोग गंजेपन दूर करने के विज्ञापनों को पढ़ते दिखाई देते है। ऐसे लोग विभिन्न प्रकार के तेल, लोशन और औषधियों की शरण लेते है, लेकिन