यात्रीगण कृप्या ध्यान दें - राम नगीना मौर्य

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80 के दशक की बसु चटर्जी या ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्मों में जिस तरह आम मध्यमवर्गीय व्यक्तियों को नायक नायिका बना हल्की फुल्की कहानी के ज़रिए छोटी छोटी बातों एवं घटनाओं को कथा का मूल आधार बनाया जाता था। ऐसा ही कुछ मुझे पढ़ने को मिला जब मैंने पढ़ने के लिए लेखक राम नगीना मौर्य जी का कहानी संग्रह "यात्रीगण कृप्या ध्यान दें" उठाया। आमतौर पर उनकी कहानियों का नायक एक ऐसा अधेड़ व्यक्ति है जो रिटायर या तो हो चुका है या होने वाला है। वैसे इसके अपवाद स्वरूप कुछ कहानियों के पात्र आज की पीढ़ी के युवा लोग