प्रजा का रक्षक

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मावल प्रांत में कान्होजी नामक एक पराक्रमी सरदार था। उसे अपने राजा द्वारा जागीरदारों जैसा सम्मान प्राप्त था। जागीरदारी देने की परंपरा उसके राजा के दरबार में नहीं थी। शत्रुओं से मुकाबला करते हुए कान्होजी ने कई लड़ाइयों में असामान्य फतह हासिल की थी। इस काम में उसकी मावल सेना और प्रजा जी-जान से उसका साथ देती थी। अपनी प्रजा के सुख-दुख में वह हमेशा शामिल होता था और हर तरह की सहायता के लिए तत्पर रहता था। इस तरह वह अपनी प्रजा का खूब ख्याल रखता था। इससे उसकी कीर्ति चारो ओर फैल गई थी। ये वो दौर था