डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - 7

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7 तभी उसे लगा यह कोई भ्रम है या कोई माया जाल होगा। उसे पेड़ की बात याद आई और वो वह वहाँ नहीं रुकी। तभी उन रशियन कपल ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया । उसके कदम और तेज़ हो गए और फ़िर वो भागने लगी । तभी उसके सामने एक बड़ा पक्षी आ गया, वह संभल न सकी और धड़ाम से गिर गई । "तुम ठीक हों ?" "कौन" यास्मिन ने पूछा । "मैं गौरव" पक्षी ने उत्तर दिया। "गौरव तुम यहाँ? मुझे अफ़सोस है कि तुम उल्लू बन गए, यास्मिन ने उसे देखते हुए कहा। 'मैंने