अमर

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अगस्त १६ , २५६७ आज का दिन न सिर्फ मेरे अस्तित्व का सबसे बड़ा दिन था बल्कि आज मैने अपनी नई पहचान पाई। दरासल मै अपने चाचा की प्रयोगशाला में घूमने जा रहा था। वह आयु बढ़ने की प्रक्रिया को धीरे करके मनुष्य की आयु कुछ सौ साल बढाना चहते थे। वह इस तकनीक से मेरा ब्लड़ कैंसर ठीक करना चाहते थे। मै सुबह - सुबह उठ गया (जो की मै रोज नही करता था) तैयार होकर मैने अपने मल्टीविटामिन और मल्टीमिनरल आदि केप्सूल खाए। मै घर से बाहर निकल चुका था। मैं सीधे प्रयोगशाला की तरफ जा रहा