कोड़ियाँ - कंचे - 9

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Part- 9 जयपुर और  जहाजपुर दोनों ही स्थानों पर गहमागहमी का वातावरण था. एक ओर ख़ुशी एक ओर गम. यह कैसी विडम्बना थी ईश्वर की. काली रात की समाप्ति पर प्रोफेसर बलदेव उर्फ़ बलभद्र के यहाँ फिर से जमावड़ा लग गया, पंडित वगैरह आगए, अंतिम यात्रा का सारा सामान लाया गया..हवेली का कॉलेज तो प्रदर्शनी के कारण सजा हुआ ही था, हाल को फूल मालाओं से सजाकर प्रोफेसर के पार्थिव शरीर को रखने की जगह बना दी गई थी. आसपास की जगह के भी उनके कई विद्यार्थी बसों से आगए. पूर्व निश्चित कार्यक्रम के अनुसार प्रोफेसर के पार्थिव शरीर को