कोड़ियाँ - कंचे - 8

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Part- 8 गरम चाय साइड टेबल पर रख गौरी सोते हुए बलदेव के पास बैठ, बालों में उँगलियाँ फिराते हुए बोली, ‘ अजी उठो,  म्हारा नंद जी का लाल ! चाय ठंड़ी हो री छै,  बोत सो लिया, आज तो हद ही कर दी, आठ बाज़ ग्या छै, चाय वालो भी दो बार आके ग्यो, म्हूँ भी सूती रे ग्यी।’ अचानक गौरी को लगा कि बलदेव ढीले से पड़े हुए हैं, वह घबरा गई, ज़ोर ज़ोर से आवाज़ देते हुए हिलाने लगी, पर जब कोई उत्तर नहीं मिला और साँस कुछ उखड़ी हुई सी लगी तो उसने कॉल बेल दबाई