भाग 1 उसे आइने से ही प्यार हो गया था। क्या करती वह कशिश ही इतनी थी कि एक बार जब वह आइने के सामने खड़ी होती तो फिर हटने का नाम ही नहीं लेती। अक्स होता ही था इतना सुंदर। बादलों से घने काले बिखरे घने केश, दो- काली मतवाली सी ऐंठी लटें जो चेहरे पर झुकी रहतीं और चेहरा भी कैसा जैसे बिजली चमक रही हो। केसर मिला दूध जैसा रंग। बड़ी- बड़ी काली- काली आंखें। लंबी घनी पलकें। पुतलियां और नेत्रगोलक ऐसे जैसे गहरे समुद्र में हंस तैर रहे हो। सीधी लंबी नासिका। पतले- पतले अनार के