यहां कुछ लोग थे- राजेन्द्र लहरिया

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समीक्षा कहानीसंग्रह: यहां कुछ लोग थे- राजेन्द्र लहरिया .....भारतीय समाज की कथा सामान्यतः हिन्दी का पाठक यह जानता है कि लम्बी कहानी हिन्दी की अपनी निजी खोज है क्योंकि गद्य की फिक्शन विधाओं में पष्चिम देशों में या तो नावेल (उपन्यास) है, या फिर शार्ट स्टोरी (छोटी स्टोरी) वहां लम्बी कहानी जैसी मध्य की कोई आख्यान परख विधा मौजूद नहीं है। जबकि लम्बी कहानी भी पष्चिम की परम्परा से ही हिन्दी में आई है। लम्बी कहानी की अपनी कुछ निजी खासियतें होती हैं जो उसे उपन्यास जैसे बडे़ फलक का और कहानी जैसा सधा हुआ बनाती है। हिन्दी