एक दुनिया अजनबी - 38

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एक दुनिया अजनबी 38- कभी-कभी ऐसा भी होता है, छिपाने का कोई प्रयोजन नहीं होता पर बात यूँ ही छूट जाती है | कुछ ऐसा ही हुआ, कभी कोई बात ही नहीं हुई मंदा मौसी के बारे में | अचानक मंदा मौसी का नाम सुनकर प्रखर का उनके बारे में पूछना स्वाभाविक ही था | अब तक निवि प्रखर की ज़िंदगी में पूरी तरह आ चुकी थी | उम्र का अधिक फ़र्क होने पर भी उसे प्रखर का साथ अच्छा लगने लगा था |अपने टूटे हुए दिल का मरहम वह प्रखर में पा गई थी और प्रखर अपने एकाकीपन को उसके साथ