जल जीवन हरियाली

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जल-जीवन-हरियाली (कहानी) लेखक - अब्दुल ग़फ़्फ़ार __________________हमारे क्षेत्र में ज़मीन के ऊपर रोज़गार और ज़मीन के नीचे पानी ढ़ूंढ़ने से भी नहीं मिलता। हालांकि ऐसा हमेशा से नहीं था। कभी यहां भी जल-जीवन-हरियाली का बोलबाला हुआ करता था। कल गांव के दो लोगों में खेत पटवन को लेकर झगड़ा हो रहा था। बाबूजी झगड़ा छुड़ाने गए। बीच बचाव में बाबूजी का चश्मा झन्न से गिरा और चन्न से टूट गया। फिर तो उनके माथे पर बल पड़ना लाज़मी था। इधर फागुन में तेज़ पछिया हवा ज़मीन की नमी चूसती जा रही है और उधर सरकार ने बोरिंग से पानी निकालने पर रोक लगा रखी